मैंने ये कविता अपने हॉस्टल की जिंदगी पर लिखी थी .... मेरी प्रथम कविता !!
कल आज और कल
बीतें नहीं ये मधुर पल
रिश्तों के ये मधुर बंधन
जिनमे न हो कोई अनबन
मन मेरा करता है की इन रिश्तों में खो जाऊ
इन स्वर्णिम सुखमय क्षणों को कैसे मैं भुलाऊ
अनजाने अपरिचित सब अपने हो गए
इस स्वप्निल मन के हरक्षण सहचर हो गए
दुःख सुख आश निराश के पा जाओ
जीवन मधुमय करके इन रंगों में खो जाओ