Sunday, May 15, 2005

hastakshar

अंकित हैं हस्ताक्षर कितने

पन्नो पर जीवन के ?

हस्ताक्षर उनके जो करीब हैं ,

और उनके जो अपरिचित हैं अब तक ,

अपरिचित मुझसे /

अपरिचित स्वयं से .....



हस्ताक्षर मेरे उनके जीवन पर ,

होंगे क्या उतने ही गहरे /

भेद भरे ?



आरम्भ है एक स्मित से ,

स्वागत , नयनो के रास्ते ,

आकांक्षाओं के बढ़ाते ही /

परिचय होता है एक अपरिचित मन से ,

छिपा बैठा है उनके भीतर ,

वेदना से भरा ,

स्वयं से अजान , बोध के परे .....



रहस्यमय हस्ताक्षर उनके ,

सहेज के रखे हैं मैंने ,

परिचय की आशा में ….