विकल्प ही नहीं ,
छिटकने का सत्य से दूर ,
जब कोई ,
मान लो उसे जो शाश्वत है सत्य है ,
अभिन्न एक हल है ,
तुम्हारे तीव्र अंतर्द्वंद का ,
विकल्प ही नहीं......
कब तक असत्य के सहारे ,
इस तिनके की सवारी कर ,
हवा में बहोगे..
आंधियो के सहारे ,
कभी यहाँ , कभी उस जहाँ ,
मान लो उसे जो शाश्वत है ,
सत्य है ....
गुजरना होगा सत्य को भी ,
अग्निपरीक्षा से एक दिन ,
दे देना साक्ष्य तब तुम भी ,
देते क्यों हो अब ,
जब अर्थ नहीं कोई प्रमाण का ,
अनुरोध भी नहीं ....
विकल्प ही नहीं ,
जब कोई ,
छिटकने का सत्य से दूर,
विकल्प ही नहीं .......